ब्रह्म को मैंने व्यापक और शाश्वत वस्तु के स्वरूप में पहचाना।
3.
ईश्वर अगर कोई शाश्वत वस्तु है तो धर्म मानव समुदाय के बदलने के साथ बदल जाता है।
4.
घूम फिर कर सव्ययाची की यही बात उसे बराबार याद आने लगी कि परिवर्तनशील संसार में सत्य की उपलब्धि नाम की कोई शाश्वत वस्तु नहीं है।
5.
आर्ष अनुभूतियों को वाणी देती हुई यह रचना औपनिषदिक आख्यान की कोटि में आ जाती है जिसका चिरन्तन महत्त्व है, जिसकी शाश्वत वस्तु व ऐसी रचना के लिए बतरा जी को मेरी हार्दिक बधाई।
6.
जैन दर्शन में धर्म आमतौर पर नैतिक मूल्य के रूप में समझे जाने के अलावा एक विशिष्ट अर्थ रखता है, शाश्वत वस्तु (द्रव्य) का एक सहायक माध्यम, जो मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
7.
यद्यपि मनुष्य-देह दुर्लभ और नाशवान भी है, तथापि जब उसका नाश करके उससे भी अधिक किसी शाश्वत वस्तु की प्राप्ति कर लेनी होती है (जैसे देश, धर्म और सत्य के लिए अपनी प्रतिज्ञा, व्रत और विरद की रक्षा के लिए एवं इज्ज़त, कीर्ति और सर्वभूत-हित के लिए) तब, ऐसे समय पर अनेक महात्माओं ने इस तीव्र कर्त्तव्याग्नि में आनन्द से अपने प्राणों की भी आहुति दे दी है।